शब्द हमारा आदि का, पल पल करहू याद ।
अंत फलेगी माँहली, ऊपर की सब बाद ।।
कबीर साहिब जीव को बारम्बार बोध देते हैं । वह जीव को अपनी वाणियों से जगाकर अपने स्वरूप ज्ञान व स्वरूप स्थिति की ओर खींचते हैं । साहिब कहते हैं मैं तुमको स्वरूपज्ञान की याद दिलाता हूं । अपने स्वरूप को पल पल याद करो । स्वरूप ज्ञान वाणियों का चिंतन मनन करने से जीव स्वरूप ज्ञान के प्रति दृढ़ हो जाता है । इसका फल यह होता है कि जीव माँहली हो जाता है यानी अपने निज स्वरूप के महल में भवन में निवास करने लगता है ।
जीव का महल क्या है ? क्या जो ईंट, सीमेंट, लोहे या लकड़ी से खड़ा कर लिया यह जीव का महल है ? बिल्कुल नहीं । यह तोह इस शरीर के रहने के लिए दो चार दिन का मुसाफिर खाना है । जीव का महल तोह उसकी अपनी स्वरूप स्थिति है । आत्मस्थिति या स्वरूप स्थिति ऐसा पक्का महल है जो न कभी गिरने वाला है न कभी छूटने वाला है ।
जेठ की दोपहर में जलता, वर्ष में भीगता, पोह की सर्दी में कांपता मनुष्य जब अपने मकान में आ जाता है तोह कितना आराम अनुभव करता है, कितना आनंद अनुभव करता है, यह सभी का अपना अपना अनुभव है । यह तोह क्षणिक है । क्योंकि पुनः फिर घर से बाहर जाना ही पड़ेगा । परन्तु जो वैराग्य प्राप्त साधक संसार के तापों से भागकर अपने स्वरूप के महल में पहुँच जाता है, तोह वह परम शांति में परम् आनंद में स्थित हो जाता है । वह साधक समझते हैं "ऊपर की सब बाद" दुनियां की सारी माया तोह एक दिन छूटने ही वाली है तोह इसमें मेरा क्या लाभ हानि । मेरा क्या छुटेगा या मिटेगा, मैं तोह अब अपनी स्वरूप स्थिति के महल में आ गया हूँ ।
बाहर के महल मकान शरीर के आवश्यक होते हुए भी मन के ताप से मुक्त नहीं कर सकते । बड़े बड़े मकानों में संगमरमर जड़े भवनों में जाकर मन कुछ समय के लिए सुख अनुभव कर सकता है । परन्तु यदि उसी महल में लंबे समय तक रहेगा तोह तोह एक दिन उदास हो जाएगा । जब मन बेचैन होता है तब मित्रों, स्वजनों एवं सुख सुविधाओं से भरा महल भी जेलखाना लगने लगता है । जो निरन्तर सुख की अनुभूति देने वाला महल है वह केवल जीव की स्वरूप स्थिति ही है । अतः एव अपने स्वरूप स्थिति के महल में स्थित होने के यत्न करो। पूर्ण गुरू की शरण में लाओ जो खुद स्वरूप स्थिति में जा चुका हो वही आपको भी आपकी स्वरूप स्थिति में मददगार हो सकता है ।
साहिब बंदगी
कोई भक्तजन गुरुजी वैराग साहिब से मेरी बात करवा दे या उनका नंबर है तो दे दे मैं उनका बहुत आभारी रहूंगा
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