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मृत्यु परम सत्य है, पर मनुष्य इसे याद नहीं रखना चाहता ।



मूवा है मरि जाहुगे, मुये कि बाजी ढोल ।
सपन स्नेही जग भया, सहिदानी रहिगौ बोल ।।

मृत्यु जीवन का परम सत्य है, इसको झुठलाया नहीं जा सकता । किन्तु खेद है कि मनुष्य इसको झुठलाने में जीवन भर लगा रहता है । लोग मृत्यु को याद नहीं रखना चाहते । यदि कोई उनको मृत्यु की याद कराना चाहे तोह लोग नाख़ुश हो जाते हैं । किसी पुत्र जन्म या विवाह आदि के अवसर पर अगर कोई व्यक्ति मृत्यु का नाम ले लेवे तोह लोग कहते हैं कि चुप भी रहो भले आदमी, ऐसे मंगल अवसर पर किस अमंगल का नाम ले रहे हो । लोगों के लिए जन्म और विवाह ही मंगल मौके हैं और मृत्यु अमंगल है । याद रखो किसी जन्म या विवाह के मौके पर तोह हम उसकी गहमागहमी में माया मोह में भूल जाते हैं उलझे रहते हैं । जबकि किसी संगी साथी की मृत्यु के मौके पर हमारा मन संसार से कट कर शांत रहता है । लोग दुकान को बंद नहीं करते दुकान को बढ़ाते हैं । जब दुकान को बंद करने का समय हो तोह नौकर को बोल देते हैं कि दुकान बढ़ा दो , बंद करना अमंगल बात है इसलिए बोलते हैं दुकान को बढ़ा दो यह मंगल बात है । कितना मूर्ख हो चुका है व्यक्ति हर पल खुद को ही ठगे जा रहा है सत्य से भाग रहा है । शतरमुर्ग एक ऊंचा लम्बा जानवर होता है, जब शेर उसके ऊपर हमला करता है तोह वह अपने सिर को रेत आदि में छिपा लेता है और समझता है मैंने अपनी आंखे छिपा ली अब शेर मेरा शिकार नहीं करेगा, वो यह नहीं सोचता कि आंखे मैंने मूंदी हैं शेर ने नहीं वो तोह अपना काम कर ही देगा । यही हाल मनुष्य का हो चुका है । वो समझता है कि अगर मैं मृत्यु को याद नहीं करूँगा तोह मृत्यु भी मुझे भूल जाएगी । परन्तु याद रखो मृत्यु को चाहे याद करो या न करो वो हर पल समय आ रही है ।

कबीर साहिब कह रहे हैं हे भोले मानव तेरे से पहले भी बोहत से लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं , एक दिन तुमने भी मृत्यु को प्राप्त हो जाना है । साहिब उदाहरण देकर कहते हैं कि मुये चाम का ही ढोल बजता है , जिंदा चाम का ढोल नहीं बजता । पशु जब मर जाता है तोह उसकी चमड़ी से ही ढोल बनाया जाता है । इसी तरह जब मनुष्य मर जाता है तोह कुछ ही दिन उसकी बातों का ढोल बजता है, वह अच्छा था बुरा था इन बातों का ढोल कुछ ही दिन बजता है और फिर उसे भूला दिया जाता है । कबीर साहिब कहते हैं मनुष्य को केवल कर्म पर ध्यान देना चाहिए कि उससे कोई बुरा कर्म न हो, क्योंकि कर्म के कारण ही मनुष्य को याद रखा जाता है । जिसके कर्म बुरे हों वह जीते हुए भी मरे सामान है और जिसके कर्म अच्छे हैं वो मरने के बाद भी जीवित रहता है ।

सपने स्नेही जग भया, संसार के लोग सपने के प्रेमी बने हुए हैं । सपने में मोहक प्राणी व पदार्थ मिलते हैं । उस समय उनमें मोह होता है पर सपने के टूट जाने पर सपने की चीज़ें भी समाप्त हो जाती हैं । कबीर साहिब कहते हैं ," हे मानव तू मृत्यु का शिकार है । तेरे से पहले भी कितने आये और चले गये, तुमने भी एक दिन चला जाना है । तुम मृत्यु से बच नहीं पाओगे । वह हर पल किसी न किसी को अपना शिकार बना रही है । इसलिए समय रहते अपने स्वरूप में स्थित हो जाओ ताकि दोबारा मृत्यु के जाल में न आना पड़े ।
साहिब बंदगी

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