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मनुष्य को कुसंग का त्याग करना चाहिए, इसी में उसकी भलाई है ।


मारी मरे कुसंग की, केरा साथे बेर ।
वै हालैं वै चींधरें, बिधिना संग निबेर ।।
भावार्थः मनुष्य कुसंग की मार से उसी प्रकार मरता है जैसे केले के पेड़ के साथ बेर का पेड़ लग जाने से केले के पेड़ की दशा होती है । केले के पत्ते हिलते हैं और बेर के कांटे उनको चीर फाड़ देते हैं । है अपने कर्मों के विधाता मनुष्य तू कुसंग का त्याग कर ।

व्याख्या: मनुष्य का ज्यादा पतन कुसंग के कारण ही होता है । मांस, मदिरा, गुटखा, नशा, चोरी, दुराचार आदि की बुरी आदतें कुसंग के कारण ही लगती हैं । अच्छे अच्छे लोग कुसंग में पड़कर भ्र्ष्ट हो जाते हैं । कबीर साहिब ने इस साखी में केला और बेर का सटीक उदाहरण देकर बोहत ही अच्छे से समझाया है । केला कितना कोमल और चिकना पेड़ होता है सभी जानते हैं । उसके फल भी स्वादिष्ट और तृप्तिकर होते हैं । उसके पेड़ की स्वच्छता और उच्चता के कारण उसका उपयोग मांगलिक कार्यों में किया जाता है । केले के पेड़ व पत्ते गाड़कर भारत में पूजा के मंडप बनाये जाते हैं ।  ऐसे कोमल और चिकने केले के पेड़ के साथ बेर का पेड़ उग पड़े और बड़ा होकर केले के ऊपर फैल जाए तोह केले के पेड़ की क्या दशा होती है यह सर्वविदित है । हवा चलने पर केले के पत्ते हिलेंगे और बेर के कांटों में टकराकर फट जाएंगे । बेर के कांटे केले के पत्तों को चीर फाड़ कर रख देंगे ।

ऐसे ही जो मनुष्य चोर की संगत करेगा, व्यभिचारी की संगत करेगा, दुराचारी की संगत करेगा तोह उससे उसकी बुद्धि बिगड़ते बिगड़ते वह भी उनके जैसा हो जाएगा । जिनके घरों में मांस मदिरा नहीं थे उनके घर में मांस मदिरा का सेवन करने वाला आकर बस गया जिससे उस घर के लड़के उसके साथ भ्र्ष्ट हो गये । शूकर गंदगी खाने का स्वभाव सिद्ध होता है पर मनुष्य ऐसे नहीं होता मनुष्य के घर में तम्बाकू खाने वाले शूकर व शूकरी का प्रवेश होता है जिससे वह भी शूकर शूकरी के जैसे बन जाता है । तम्बाकू खाने वाले बिना नाक के शूकर हैं ऐसे ही शराब, गांजा, बीड़ी पीने वालों की दशा है । करीब करीब सभी दोष मनुष्य में कुसंग से ही आते हैं । पान का एक सड़ा पत्ता बाकी पत्तों को सड़ा देता है, एक गन्दी मछ्ली पूरे तालाब को गंदा कर देती है । आचरणभ्र्ष्ट मनुष्य खुद तो नरक में गिरा ही होता है उसका संग करने वाला भी नरक में गिर पड़ता है ।

कबीर साहिब कहते हैं हे मनुष्य तू अपने कर्मों का विधाता है चाहे तू कुसंग से अपने आप को नरक के गड्ढे में गिरा ले चाहे सत्संग से अपने आप को उच्चा उठा ले । मनुष्य को चाहिए की कुसंगत का त्याग कर सुसंगत को अपनाए और जीवन में अच्छे आचरण के साथ विचरण करे ।
साहिब बंदगी

Comments

  1. गुरुजी बैराग साहिब से मैं मिलना चाहता हूं और उनसे बात करना चाहता हूं कृपया करके उनका नंबर मुझे बताने का कष्ट करें या उनसे मेरी बात करवा दीजिए आपकी बहुत बहुत कृपा होगी एक जिज्ञासु जो सत्य की तलाश में है नाम है वीरेंद्र सिंह चंडीगढ़ का निवासी है उमर है 39 साल पिछले 14 साल से सच की तलाश में भटक रहा हूं कृपया मुझ पर दया करें

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