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जीव आत्मा कर्म के चक्कर में पड़कर जन्म मरण में कैसे भटकने लगी ?


कर्म फांस छूटे नहीं, केतो करो उपाय ।
सतगुरू मिले तोह ऊबरे, नाहिं तोह धक्का खाए ।।
सृष्टि के आरंभ में सब जीव अव्यक्ति रूप में सार शब्द सत्यनाम में समाए हुए थे । और जब जीव आत्मा चाहती है कि वह एक से अनेक होऊं तोह एक आत्मा की सुरति अधोमुखी होती है फिर रज सत तम आदि तीन गुणों और पांच तत्वों जल, आकाश, वायु, अग्नि, भूमि आदि के माध्यम से आत्मा अलग अलग भूमिका कर रूप में प्रकट होती है । अलग अलग रूप को चार खानी के रूप में भी जाना जाता है चार खानी है अंडज, पिंडज, उष्मज़ और स्थावर आदि । प्रत्येक भूमिकाओं में सभी को सृष्टि स्वभावनुसार मन तथा माया के आवरण से नाना प्रकार के कर्मों में लिप्त होकर और कर्मों के कारण उन्हें फिर कर्मों के फल भोगने के जो ईश्वरीय नियम था उसको जीव आत्मा भोगने लगी । जो जैसा कर्म करता है उसको उसी के माफिक वैसा ही शरीर मिल जाता है । परन्तु उसे देह द्वारा उसके पिछले कर्मों का फल भोगने के साथ साथ फिर दूसरे नये कर्म भी उत्तपन्न हुए फिर नये कर्मों के फल भोगने के लिए नया शरीर धारण करना पड़ा और उसमें जो नए कर्म होते गए उनको भोगने के लिए फिर नया शरीर धारण करना पड़ा । इसी तरह हमारे और आपके हम सबके अनेकों जन्म बीत गये और जन्म मरण का अंत नहीं हुआ ।

जीव का देह रूप से जन्म लेना, कर्म करना, मृत्यु वश होना और कर्मों के फल भोगने के लिए फिर नया नया शरीर धारण करना , फिर कर्म करना पुनः मरना और फिर जन्म लेना इसी को काल चक्कर कहा जाता है । जिसको कबीर साहिब ने साखी में भी कहा है -
काल चक्कर चक्की चली बहुत दिवस और रात ।
निर्गुण सर्गुण दो पाटने तामे जीव पिसात ।।
इसलिए कोई भी कर्म जीव आत्मा को कर्म बन्धन से जन्म मरण के बंधन से नहीं निकाल सकता । कर्मों के जाल से छूटने के केवल एक ही उपाय है कि सच्चे सतगुरू की शरण मिल जाए ताकि सतगुरू जीव आत्मा को कर्म बन्धन से छूटने का भेद बता देवे । भेद जानने के बाद जीव सत कर्म करते हुए अपनी सुरति को उसी सार शब्द में एकाग्र करने का भी अभ्यास करता रहे जहां से अधोमुखी होकर जीव आत्मा कर्म के बंधन में पड़ गयी और अनेकों जन्म जन्म मरण में गवा दिए । धीरे धीरे अभ्यास में पक्का होने के बाद जीव आत्मा की सुरति अपने निज घर सार शब्द में स्थित हो जाती है ।
साहिब बंदगी

Comments

  1. Kya

    muze nam dhan mil sakata hai

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    1. Kya muze asram ka whatapp namber doge. Mai apake gyanase bahut prabavit hu.

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  2. Kya muze madan sahib granth pdf mil sakati hai

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  3. साहेब बंदगी साहेब मुझे नाम प्रकाश पुस्तक का पी डी एफ भेज दे या पोस्ट कर ने कि कृपया करे मेरा email id subodhtiwari567@gmail.com मेरा पता मीठा पुर स्कूल रोड एम सी डी टोल बूथ साईं नगर मीठा पुर बदर पुर न्यू डेल्ही 44 मोबाइल 9810982405

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  4. Dhan dhan guru bhagya hmate jo kamalo tak phuch ki rah dikhaye

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  5. Ab to shoham se mohe ubaro niakshar se mohe judade

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  6. मेंने 1988 में राधा स्वामी गुरुजी महाराज चरण सिंह जी से नाम लिया था परन्तु अभी तक कोई रूहानी तरक्की नहीं हुई है आपके सत्संग कुछ दिनों से सुना है आपके द्वारा बताया गया है कि सार कुछः और है अतः आपसे मिलना चाहता हूं कृपा मेहर कर समय प्रदान करने की कृपा करें

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  7. मुझे आप का सत्संग अच्छा लगा कृपया मार्गदर्शन के लिये 9756233186 पर फ़ोन या मेरी gmail पर संतुष्ट करे

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